किसी गाड़ी को 5 स्टार तो किसी को 0, आखिर कैसे तय होती है कार की सेफ्टी रेटिंग, Global NCAP कैसे करता है क्रैश टेस्ट
Global NCAP Car Crash Test: सवाल ये है कि आखिर किसी कार को कोई कंपनी सेफ्टी रेटिंग कैसे देती है और इसके लिए कंपनी के क्या पैरामीटर्स होते हैं. यहां जानिए कैसे किसी कार को मिलती है सेफ्टी रेटिंग?
किसी गाड़ी को कैसे मिलती हैं सेफ्टी रेटिंग (Global NCAP)
किसी गाड़ी को कैसे मिलती हैं सेफ्टी रेटिंग (Global NCAP)
Global NCAP Car Crash Test: हाल ही में ग्लोबल सेफ्टी रेटिंग एजेंसी Global NCAP ने भारत में सबसे सुरक्षित और सबसे असुरक्षित कार की लिस्ट जारी की थी. इसमें Skoda की Slavia, Kushaq और Volkswagen की Taigun और Virtus को सबसे ज्यादा 5 स्टार सेफ्टी रेटिंग मिली है. हालांकि इसमें सबसे कम सेफ्टी स्टार रेटिंग मारुति की ऑल्टो K10 और WagonR को मिली थी. अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी ने इन दोनों कारों को क्रैश टेस्ट में 1 स्टार और 2 स्टार रेटिंग दी है. अब यहां सवाल ये है कि आखिर किसी कार को कोई कंपनी सेफ्टी रेटिंग कैसे देती है और इसके लिए कंपनी के क्या पैरामीटर्स होते हैं.
क्या काम करती है Global NCAP?
ग्लोबल NCAP (न्यू कार एसेसमेंट प्रोग्राम) एक इंटरनेशनल संगठन है. ये संगठन गाड़ियों के सुरक्षा मानकों की जांच करता है. इस संगठन का मुख्य उद्देश्य गाड़ियों की सुरक्षा को बढ़ाना है और बताना है कि कौन-सी कार कितनी सेफ या सुरक्षित है. ये कंपनी कार क्रैश टेस्ट के जरिए किसी कार की सेफ्टी की जांच करती है.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
TRENDING NOW
भारी गिरावट में बेच दें ये 2 शेयर और 4 शेयर कर लें पोर्टफोलियो में शामिल! एक्सपर्ट ने बताई कमाई की स्ट्रैटेजी
Adani Group को एक ही दिन में दूसरा झटका! NSE ने ग्रुप कंपनियों से मांगी सफाई, ₹2.45 लाख करोड़ का मार्केट कैप स्वाहा
EMI का बोझ से मिलेगा मिडिल क्लास को छुटकारा? वित्त मंत्री के बयान से मिला Repo Rate घटने का इशारा, रियल एस्टेट सेक्टर भी खुश
मजबूती तो छोड़ो ये कार किसी लिहाज से भी नहीं है Safe! बड़ों से लेकर बच्चे तक नहीं है सुरक्षित, मिली 0 रेटिंग
Adani Group की रेटिंग पर Moody's का बड़ा बयान; US कोर्ट के फैसले के बाद पड़ेगा निगेटिव असर, क्या करें निवेशक?
इस कार क्रैश टेस्ट में एक गाड़ी को एक सीमित स्पीड पर दौड़ाया जाता है और टकराया जाता है. इसके बाद गाड़ी के एक्सटीरियर और इंटीरियर की अलग-अलग तरह से जांच की जाती है और उन्हें रेटिंग दी जाती है. इस तरह से किसी गाड़ी को सेफ्टी के लिहाज से रेटिंग मिलती है.
इस तरह किया जाता है कार का क्रैश टेस्ट
क्रैश टेस्ट के लिए कार के अंदर ड्राइविंग सीट पर एक डमी को रखा जाता है. इस कार क्रैश टेस्ट में कार को 64 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से दौड़ाया जाता है और सामने की तरफ एक बैरियर से टकराया जाता है. ये टक्कर इतनी तेज होती है, जिससे पता चले कि को भी गाड़ी कितनी ज्यादा सुरक्षित है.
कई तरीकों से किया जाता है क्रैश टेस्ट
बता दें कि कार का क्रैश टेस्ट कई तरीकों से किया जाता है. इसमें फ्रंटल, साइडल, रियर और पोल टेस्ट को शामिल करके क्रैश टेस्ट किया जाता है. फ्रंटल में कार को सीधे सामने से टकराया जाता है. साइडल में कार को साइड से टक्कर मारी जाती है. रियल में कार को पीछे से टक्कर मारी जाती है और पोल टेस्ट में कार को ऊपर से गिराया जाता है.
इन मानकों के आधार पर मिलती है रेटिंग
किसी भी कार को 0-5 के बीच सेफ्टी की रेटिंग दी जाती है. जितनी ज्यादा रेटिंग उतनी कार सुरक्षित. ये एडल्ट ऑक्यूमेंट प्रोटेक्शन और चाइल्ड ऑक्यूमेंट प्रोटेक्शन स्कोर पर आधारित होती है. ये स्कोर कार में रखी गई डमी की रीडिंग से मिलती है. इसके अलावा अलग-अलग फीचर्स के आधार पर भी सेफ्टी रेटिंग दी जाती है.
ये भी पढ़ें: Top 10 Safest Car in India: ये हैं देश की 10 सबसे सुरक्षित कार, आपको कौन सी लेनी चाहिए? जानें किसने मारी बाजी
एडल्ट और चाइल्ड ऑक्यूमेंट प्रोटेक्शन क्या है?
एडल्ट ऑक्यूमेंट प्रोटेक्शन के लिए 17 अंक रखे गए हैं. अब यात्रियों के शरीर को लगने वाली चोट के आधार पर अंक दिए जाते हैं. इन्हें 4 भागों में बांटा गया है. पहला- हेड और नेक, दूसरा- चेस्ट और क्नी, तीसरा - फीमर और पेल्विस और चौथा- लेग और फुट. इसके अलावा चाइल्ड ऑक्यूमेंट प्रोटेक्शन के लिए 49 अंक तय किए गए हैं. इसके लिए कार में 18 महीने और 3 साल के बच्चे के साइज की डमी रखी जाती है. कार में चाइल्ड रेस्ट्रेंट सिस्टम मार्किंग, थ्री प्वाइंट सीट बेल्ट और ISOFIX के लिए अतिरिक्त अंक दिए गए हैं.
12:51 PM IST